रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? रक्षाबंधन मनाने की विधि !
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?
आज हम आपको बताएंगे रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाने वाला यह त्यौहार ना केवल भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक अपितु परिवारों को जोड़े रखने का एक बेहद अच्छा माध्यम है |
रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है यह सावन महीने के अंतिम दिन होता है बहन अपने भाई को रक्षा सूत्र बांध कर उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती है।
भाई उसकी रक्षा का वचन देता है, यह परंपरा वर्षो से निभाई जा रही है। पुरातन काल से मनाए जाने वाले इस त्यौहार के पीछे का क्या कारण है आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे |
पहली कहानी -
इस कथा के अनुसार दैत्यों के राजा बलि ने 110 अग्य पूर्ण कर लिए थे जिस कारण देवताओं का डर बढ़ गया कि कहीं राजा बलि अपनी शक्ति से स्वर्ग लोक पर भी अधिकार ना करें इसलिए सभी देवता रक्षा के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे.
रक्षाबंधन / राखी क्यों मनाई जाती है? इसके पीछे की कहानी क्या है?
रक्षाबंधन कब और क्यों मनाया जाता है इस संदर्भ में कुछ कथाएं हैं........पहली कहानी -
इस कथा के अनुसार दैत्यों के राजा बलि ने 110 अग्य पूर्ण कर लिए थे जिस कारण देवताओं का डर बढ़ गया कि कहीं राजा बलि अपनी शक्ति से स्वर्ग लोक पर भी अधिकार ना करें इसलिए सभी देवता रक्षा के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे.
तब भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लिया और राजा बलि से भिक्षा मांगी | भिक्षा में राजा बलि ने तीन पग भूमि देने का निश्चय किया.
तब भगवान विष्णु ने एक पग में स्वर्ग , दूसरे में पृथ्वी को | जब राजा बलि ने तीसरा पग आगे बढ़ते देखा तो वह परेशान हो गया और समझ नहीं पा रहा था क्या करें फिर राजा बलि ने अपना सिर ब्राम्ण वामन देव के चरणों में रखा और कहा आप तीसरा पगली यहां रख दे.
और इस प्रकार राजा बलि से स्वर्ग एवं पृथ्वी पर निवास करने का अधिकार छीन लिया गया | और बली रसातल में चला गया तब बलि ने अपने भक्ति से भगवान को हर समय अपने सामने रहने का वचन लिया और भगवान विष्णु को राजा बलि का द्वारपाल बनना पड़ा जिस कारण देवी लक्ष्मी दुविधा में पड़ गई वह विष्णु जी को रसातल से वापस लाना चाहती थी
तब नारदजी से उनको इस समस्या का समाधान मिला | लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जाकर उन को राखी बांधी और उससे अपना भाई बना लिया और उपहार में उन्होंने अपने पति विष्णु जी को मांगा यह श्रवण की पूर्णिमा का दिन था | और तब से ही रक्षाबंधन मनाया जाता है
दूसरी कहानी -
दोस्तों यह कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है जब भगवान श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध अपनी चक्र से किया जब चक्र श्री कृष्ण के पास वापस आया तो उनकी उंगली कट गई तब पांडव की पत्नी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का किनारा चीर कर कृष्ण की उंगली में बांध दिया.
दूसरी कहानी -
इस कथा अनुसार 12 वर्षों तक देव और असुरों के मध्य संग्राम होता रहा इससे युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी तब इंद्रदेव गुरु बृहस्पति के पास पहुंचे वहां इंद्र की पत्नी इन्द्राणी भी उपस्थित थे इंद्र को को दुखी देखकर इंद्राणी ने कहा स्वामी कल ब्राम्हण शुक्ल पूर्णिमा है मैं विधि - विधान से एक रक्षा सूत्र तैयार करूंगी |
आप उससे स्वस्तिवाचन पूर्वक ब्राह्मणों से बंधवा लीजिएगा आप निश्चय ही विजई होंगे | अगले दिन इंद्रदेव ने इंद्राणी के कहे अनुसार वह रक्षा सूत्र स्वस्तिवाचन पूर्वक बृहस्पति से बनवाया | इस प्रकार एक रक्षा सूत्र से इंद्र और सभी देवताओं की रक्षा हुई |
तीसरी कहानी -
तब भगवान कृष्ण ने वचन दिया वह सारी उम्र द्रोपति की रक्षा करेंगे इसी ऋण को चुकाने के लिए द्रोपती के चीरहरण के समय भगवान श्रीकृष्ण चीर के रूप में आए और द्रोपति की रक्षा की |
तो दोस्तों ये थी रक्षाबंधन / राखी क्यों मनाई जाती है इसके पीछे की कहानिया |
इस दिन घर में कई तरह के पकवान बनाए जाते है। रक्षाबंधन के दिन बहने व्रत रखती हैं और एक थाली में रोली, हल्दी, चावल, दीपक, अगरबत्ती और मिठाई लेना हैं।
तो दोस्तों ये थी रक्षाबंधन / राखी क्यों मनाई जाती है इसके पीछे की कहानिया |
रक्षाबंधन मनाने की विधि
इस दिन घर में कई तरह के पकवान बनाए जाते है। रक्षाबंधन के दिन बहने व्रत रखती हैं और एक थाली में रोली, हल्दी, चावल, दीपक, अगरबत्ती और मिठाई लेना हैं।
और पहले भाई को पूरब दिशा की तरफ मुख करके बिठाये और बहन का पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठे फिर आरती करें, तिलक लगाएं और भाई के दाईं कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर मिष्ठान खिलाएं
रक्षाबंधन कब है ?
Raksha Bandhan Hindi Quotes - 2020
[1]
तोड़े से भी ना टूटे, ये ऐसा मन बंधन है,
इस बंधन को सारी दुनिया कहती रक्षा बंधन है।
[2]
बना रहे ये प्यार सदा,
रिश्तों का एहसास सदा
कभी ना आये इसमें दूरी
राखी लाए खुशियां पूरी।
रिश्तों का एहसास सदा
कभी ना आये इसमें दूरी
राखी लाए खुशियां पूरी।
[3]
राखी कर देती है
सारे गिले शिकवे दूर
इतनी ताकतवर होती है
कच्चे धागे की पवन डोर
[4]
राखी कर देती है
सारे गिले शिकवे दूर
इतनी ताकतवर होती है
कच्चे धागे की पवन डोर
[4]
बहन का प्यार किसी दुआ से कम नहीं होता,
वो चाहे दूर भी हो तो गम नहीं होता,
अक्सर रिश्ते दूरियों से फीके पड़ जाते है,
पर भाई-बहन का प्यार कभी कम नहीं होता।
तो ये था रक्षा बंधन का इतिहास उमीद करता हु ये पोस्ट आपको अच्छा लगा होगा
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