महात्म गांधी
नमस्कार मैं "आशुतोष कन्नौजिया" आज मै आप को उन महान आत्मा से रूबरू कराने जा रहा हु, जो भारत मे चमकते हुए कुछ अनमोल सितारों में से एक है, उन्होंने राष्ट्र की स्वतंत्रता तथा एकता के लिए सम्पूर्ण जीवन दान में दे दिया।
यही कारण है कि 1919 से 1947 तक के युग को गांधी युग कहते है।
जी हां मेरे प्रिय पाठकों आज 2 अक्टूबर गांधी जयन्ती के विशेष अवसर पर मैं आप को इनके जीवन की सम्पूर्ण घटना पर प्रकश डालता हु।
तो चलिए स्वागत है आप का kalpesu.com पर
परिवार
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 ई० को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ।
इनके पिता करमचंद्र गांधी जो पोरबंदर रियासत के दीवान थे।
इनकी माता पुतली बाई जो एक धार्मिक विचार वाली थी।
गांधी जी जब 13 वर्ष के थे तब उनकी शादी कस्तूरबा गांधी से हुई, कस्तूरबा पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री थी।
गांधी जी को 15 वर्ष में ही एक लड़का हुआ परंतु दुर्भाग्य बस उसका देहांत हो गया, जब गांधी जी 18 के हुए तो उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ और फिर बाद में उन्हें तीन और पुत्रो की प्राप्ति हुई जो इस प्रकार है 1-हीरालाल, 2-रामदास, 3-मणिलाल, 4-देवदास, कस्तूरबा गांधी के कहने पर गांधी जी ने एक बालिका को गोद लिया जिसका नाम-लक्ष्मी रखा गया।
1944 ई०में पूना की ब्रिटेश जेल में कस्तूरबा का देहांत हो गया था।
30 जनवरी 1947 को महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मार कर किया गया था, जब वे नई दिल्ली वाले आवास पर टहल रहे थे तब।
इस घटना से पूरे देश मे मातम छा गया था, जवाहरलाल नेहरू ने रेडियो के माध्यम से राष्ट्र को शोक संदेश से संबोधित किया।
राज घाट नई दिल्ली में गांधी जी का स्मारक बनाकर उस पर "हे राम" लिखा गया।
शिक्षा
गांधी जी का प्रारंभिक शिक्षा उनके निवास पोरबंदर में ही हुआ।
लगभग 19 वर्ष की अवस्था मे 1888 को गांधी जी यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून की पढ़ाई और बैरिस्टर ( वकील) बनाने इंग्लैंड चले गए।
जहा उन्होंने 1889 से 1891 तक वकालत की पढ़ाई पूरी की और बैरिस्टर बनकर 4 साल बाद भारत लौटे।
भारत लौटने के बाद उन्होंने राजकोट और मुंबई में वकालत करना सुरु कर दिए,किन्तु उन्हें इसमें कोई विषेस सफलता नही मिला।
1893 ई० को भारतीय मुसलमान व्यापारी दादा अब्दुल्ला ने उन्हें अपना मुकदमा लड़ने के लिए द० अफ्रीका भेजा, वहां जाकर उनके जीवन मे एक अनोखा मोड़ आया।
आंदोलन
द० अफ्रीका जाने के बाद उन्होंने अनुभव किया अफ्रीका में भारतीयों के साथ किये जाने वाले दुरव्यहवार अशोभनीय है।
गांधी जी डरबन से प्रिटोरिया जा रहे थे,अचानक बीच मे ही मेरित्सवर्ग स्टेशन पर एक गोरे ने उन्हें प्रथम श्रेणी के डिब्बे से धक्का देकर नीचे उतार दिया, यह घटना उनके दिल और दिमाग मे छप सा गया।
द० अफ्रीका में रहने के लिए प्रत्येक भारतीयों को पंजीकरण प्रणाम पत्र लेना जरूरी था जिससे उनसे टेक्स लिया जा सके।
गांधी जी ने 1906 ई० में एशियाटिक रजिस्ट्रेशन का विरोध किया, बाद में इस एक्ट को समाप्त करने में उन्हें सफलता मिली।
गांधी जी ने द०अफ्रीका में 1894 में नटाल इण्डियन कांग्रेस की स्थापना की, इस घटना ने उन्हें पत्रकार बनाने पर मजबूर कर दिया उन्होंने द० अफ्रीका में ही इण्डियन ओपीनियन नामक अखबार निकाला तथा 1904 में फीनिक्स आश्रम की स्थापना की।
1914 में ही अंग्रेजो ने अधिकांस काला कानून को रद्द कर दिया, गांधी जी का ये पहला महान सफलता थी।
जनवरी 1915 ई० को गांधी जी भारत आये,
गांधी जी के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले से आशिर्वाद लेकर भारत के राजनीति मैदान में उतरे।
1917 ई० में बिहार के चंपारण आंदोलन किया यह गांधी जी का भारत मे पहला सत्याग्रह था जो जबरन नील की खेती करने के विरूद्ध था।
चंपारण की सफलता के बाद अब 1918 में अहमदाबाद के मजदूर आंदोलन जो कॉटन टेक्सटाइल मिल मालिक और मजदूरों के बीच था इसमें भी गांधी जी की बात मानी गयी।
इसके बाद गांधी जी ने एक के बाद एक कई आंदोलन में हिस्सा लिए जैसे।
खिलाफत आंदोलन 1919 से 1922 तक हुआ, इसके तुरंत बाद 5 फरवरी 1922 को गोरखपुर के चौरी चौरा कांड के बाद गांधी जी को गिरफ्तार कर 6 वर्ष की सजा भी मिली मगर बीमारी के कारण उन्हें 2 वर्ष में ही रिहा कर दिया गया था।
12 मार्च 1930 से 6 अप्रैल 1930 नमक कानून के विरोध में दांडी मार्च निकाला और नौसारी गुजरात पहुच कर नमक कानून तोड़ा।
इसके बाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अंतिम लड़ाई 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन था जिसमे गांधी जी ने मुख्य भूमिका निभाई,जिसके बाद गांधी जी को पूनः जेल में डाल दिया गया था।
सम्मेलन
दिसंबर 1929 को कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता गांधी जी ने किया था।
5 मार्च 1931 ई० को गांधी -इरविन समझौता हुआ जिसे दिल्ली पैक्ट के नाम से जाना जाता है।
उसके बाद 1931 के 2nd गोलमेज सम्मेलन में हुआ जिसमें हिस्सा लेने के लिए गांधी जी को ब्रिटेन जाना पड़ा।
उपाधि/पुरस्कार/सम्मान
यह हम सब जानते है कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहा जाता है मगर ये उपाधि सर्व प्रथम 4 जून 1944 डॉ सुभाष चंद्र बोष ने सिंगापुर से कहा था।
परंतु आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपिता की घोषणा नही हुई है।
भारत सरकार 1995 से प्रत्येक वर्ष गांधी शांति पुरस्कार देती है ये उनके 125 वे जन्म दिवस पर आरंभ किया गया था।
अन्य
*2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर पूरे भारत मे राष्ट्रीय अवकास होता है, इसकी घोषणा 15 जून 2007 में किया गया था।
* U.N.O द्वारा 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मानता है।
*रविन्द्र नाथ टैगोर ने सबसे पहले महात्मा का खिताब दिया था।
*भारत सरकार ने गांधी जी के सहचित्र नोटों के साथ साथ डाक टिकट की शृंखला भी जारी की।
*गांधी जी को कभी भी शांति का नोबेल नही मिला हालांकि इस पुरस्कार के लिए 5 बार उनका नाम भेजा गया।
*गांधी जी एक सफल लेखक भी थे उन्होंने कई पत्रिकाओ का भी प्रकाशन किया जिसमें हरिजन,इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया,नवजीवन आदि है।
*गांधी जी के कुछ प्रमुख पुस्तके है जी इस प्रकार है।
हिन्द स्वराज,सत्य का प्रयोग(आत्म कथा), गीतमता,सम्पूर्ण गांधी आदि पुस्तकें भी है।
महात्मा गांधी का जीवन (2 अक्टूबर गांधी जयंती Special)
Reviewed by
The Social Talk With Ashutosh
on
September 21, 2020
Rating:
5
Nice
ReplyDeleteThank you Afreen Technical
Deletenice बरो................
ReplyDeleteThank you Saurabh Srivastava
Delete